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विवाह की वैभवशाली परंपरा


 क्या है विवाह?
सात्विक परम्पराओं का उपहार है विवाह, दो गोत्रों-परिवारों का त्यौहार है विवाह ।
वैदिक-धार्मिक-पुनित संस्कार है विवाह, गृहस्थ जीवन का प्रवेशद्वार है विवाह । ।
दो आत्माओं के मिला का आधार है विवाह, प्रेम-विश्वास-समर्पण का संसार है विवाह ।
भावनाओं और सपनों का श्रृंगार है विवाह, दंपत्ति सम्बन्धन का मुनहार है विवाह । ।

छत्तीसगढ़ की परंपराओं में विवाह का अपना विशिष्ट स्थान है। विवाह जीवन के 16 संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार में निहित है कई रस्मों-रिवाज। आखिर क्यों करते हैं हम रस्म? क्या है इसकी महत्ता? इन सबके उत्तर छुपे हैं वैवाहिक संस्कार के पृष्ठों में। रस्मों के दर्शन और उद्देश्य बताने का प्रयास है वैवाहिक संस्कार का यह छोटा सा झलक -

मंगनी (सगाई)
सगा शब्द का विस्तार है सगाई - आत्मीयता और घनिष्टता का संगम। दो परिवारों के सगा बनने अर्थात रिश्तेदार बनने का संस्कार है सगाई। इसे मंगनी भी कहते हैं। यह विवाह की प्रथम सीढी है। चूंकि इसमें दो परिवार नये रिश्ते जोड़ने के लिए वचनबद्ध होते हैं इसलिए इस रस्म को 'वाग्दान' भी  कहते हैं। इस रस्म में कन्या का हाथ मांगने वर पक्ष का मुखिया वस्त्र, आभूषण व कलेवा लेकर जाता है। इस अवसर पर अंगूठी पहनाने एवं भेंट देने की परंपरा भी प्रचलित है। हर्षोल्लास के बीच दो परिवारों के परिचय के साथ दो इंसानों के हमसफर बनने की शुरूआत है - सगाई।

मड़वा (मंडपाच्छादन)
हरीतिमा का प्रतीक है मड़वा। इसे हरियर मड़वा भी कहते हैं।इसकी शीतल छांव में रिश्तों की दूरियां समाप्त हो जाती है। डूमर, चिरई जाम (जामुन), आम या महुआ की हरी-भरी डालियों से मड़वा का आच्छादन किया जाता है, जो उमंग, उल्लास व उत्साह का प्रतीक है। सबसे पहले घर के बड़े-बुजुर्ग पूजा घर में कलशा स्थापित कर कुल देवी-देवता के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं। नारियल रखकर, हूम देकर, साड़ी-धोती एवं सुहाग का सामान रखते हैं। पश्‍चात शक्ति पूजा, नवग्रह पूजा, पृथ्वी व पितरों की पूजा एवं आव्हानकर मड़वा के लिए गड्ढा खोदा जाता है। एक मड़वा में दो बांस को ढेड़हा के साथ 7 हाथ मिलाकर गड़ाते हैं। इसप्रकार मंडप में दो मड़वा गड़ाये जाते हैं। इस मड़वा के तले विवाह के सभी रस्म सम्पन्न होते हैं।

चुलमाटी
मंडपाच्छादन के बाद दामाद या फूफा के साथ वर-वधू की माँ, चाची या बड़ी माँ देवस्थल या गांव के उस स्थल से 7 टोकरी में मिट्टी लाते हैं जहां कोई फसल न उगी हो अर्थात - कुंवारी मिट्टी। पूजा-पाठ करके मिट्टी खुदाई का कार्य दामाद या फूफा करते हैं। माँ, चाची या बड़ी माँ उस मिट्टी को अपने आंचल में लेती हैं और सम्मान पूर्वक बाजे-गाजे के साथ उस मिट्टी को घर लाकर उससे चूल्हा निर्मित करते हैं। इस नेंग का आशय है कि देव स्थल की मिट्टी से निर्मित चूल्हे का भोजन, पकवान आशीष से भरा हो।

तेलमाटी
यह भी चुलमाटी की तरह देवस्थल या गांव में निर्धारित स्थल से लाया जाता है। इस मिट्टी को मड़वा के नीचे रखा जाता है। जिसके ऊपर मड़वा बांस व मंगरोहन स्थापित होता है। इस रस्म के पीछे मड़वा स्थल पर देवताओं के वास का भाव है।

मंगरोहन
मंगरोहन शब्द मंगल + आरोहन से बना है। इसमें डूमर या चार की लकड़ी को पूजा करके लाया जाता है। तथा बैगा या बढ़ई के घर मंगरोहन का स्वरूप देने के लिए भेजा जाता है। निर्माण पश्‍चात बाजे-गाजे के साथ बैगा या बढ़ई के घर से मंगरोहन को परघाकर मड़वा स्थल तक लाया जाता है। यहां छिंद की पत्ती का तेलमौरी बनाकर उसमें बांधते हैं तथा मड़वा के तले स्थापित करते हैं। सर्वप्रथम दुल्हा-दुल्हन की शादी मंगरोहन के साथ होती है ताकि किसी प्रकार का अनिष्ठ न हो। मंगरोहन मूलतः मंगल काष्ठ है।

मायन (मातृकापूजन)
इस रस्म में सप्त मातृकाओं की पूजा होती है। यथा गोमातृका, तृणमातृका, मृयमातृका, तुंगमातृका, जलमातृका, तोरणमातृका एवं मंडपमातृका इन सप्त मातृकाओं की विवाह में अहम भूमिका होती है। इसी दिन देवतेला का नेंग होता है। जिसमें देवी-देवताओं को तेल-हल्दी चढ़ाते हैं और शेष तेल-हल्दी को वर-वधू को चढ़ाते हैं ताकि विवाह निर्विध्न संपादित हो। संध्या काल हरदाही खेलते हैं। जिसमें चिकट का नेंग होता है। मामा पक्ष से वस्त्र, उपहार आदि वर-वधू के माता-पिता के लिए आता है, इसे भेंटकर हल्दी लगाते हैं। जिसका आशय आपस में मधुरता बढ़ाने से है। इसी समय रिश्तेदारों का आपस में परिचय भी होता है।

नहडोरी
नहडोरी अर्थात स्नान। वर-वधू के लेपित हल्दी को धुलाने का कार्यक्रम है नहडोरी। रस्म अनुसार वर-वधू को स्नान कराया जाता है ताकि बारात व भांवर के लिए वर-वधू को सजाया-संवारा जा सके। नहडोरी के बाद मौली धागा को घुमाकर वर-वधू के हाथों में आम पत्ता के साथ बांधते हैं। इसी को कंकन कहते हैं।

मौर सौंपना
मौर का अर्थ होता है मुकुट राजा-महाराजाओं कका श्रृंगार तथा जिम्मेदारी का प्रतीक। मौर धारण कर दुल्हा, राजा बन जाता है इसलिए इन्हें दुल्हा राजा भी कहते हैं। मौर सौंपने का आशय वर को भावी जीवन के लिए आशीष व उत्तरदायित्व प्रदान करना है। इस रस्म में बारात प्रस्थान के पूर्व वर को पूजा घर में वस्त्रादि से सजाकर सुवासा मौर बांधता है। आंगन में चौक पूरकर पीढा रखते हैं, वर को उस पर खड़ाकर या कुर्सी में बिठाकर सर्वप्रथम माँ पश्चात काकी, मामी, बड़ी बहनें व सुवासिन सहित 7 महिलाएं मौर सौंपती है।

बारात
बारात अर्थात वर यात्रा। वर पक्ष का वधू के घर विवाह हेतु जाने का रस्म है बारात। दुल्हे के रिश्तेदारों के साथ-साथ मित्र व गांव के लोग इस यात्रा के यात्री होते हैं, इन्हें बाराती कहते हैं। बाराती मूलतः विवाह के साक्षी होते हैं, जिनके समक्ष वर-वधू का पाणिग्रहण व फेरा होता है। बारातियों का वधू पक्ष की ओर से जोर शोर से स्वागत किया जाता है। दोनों पक्ष के समधियों का मिलन होता है जिसे समधी भेंट कहते हैं।

पाणिग्रहण
पाणि + ग्रहण अर्थात हाथ स्वीकार करना। इस रस्म में वधू के पिता वर के हाथ में वधू का हाथ रखकर तथा उसमें आटे का लोई रखकर धागे से बांधते हैं। तत्पश्‍चात वर तथा वधू के पैर के अंगूठों को दूध से धोकर माथे पर चांवल टिकते हैं। यह विवाह का महत्वपूर्ण रस्म जिसमें वर द्वारा वधू को ताउम्र जिम्मेदारी निभाने तथा वधू का समर्पण का भाव निहित है।

भांवर (फेरा)
भांवर महज परिक्रमा नहीं है, हर भांवर के साथ वधू को अपने बचपन के आंगन से बिछुड़ने का अहसास होता है और प्रत्येक भांवर अनजाने से नाता जुड़ने का बोध कराता है। इस रस्म में मड़वा के बीच रखी सील पर चांवल की 7 कुढ़ी के साथ हल्दी, सिंघोलिया व सुपाड़ी रखते हैं। वधू आगे व वर पीछे रहते हुए सील की परिक्रमा करते हैं। प्रत्येक परिक्रमा के बाद वर, वधू के पैर का अंगूठा पकड़कर 1 कुढ़ी गिराता है। लड़की का भाई लड़की की हथेली में लाई डालता है, लड़की इसे गिराती है। इस प्रकार 6 भांवर सील के चारों ओर और सातवां भांवर मड़वा के चारों ओर दोनों घूमते हैं। इस रस्म में प्रयुक्त सील यज्ञ भगवान का तथा लाई पतिव्रता का प्रतीक है।

मांग भरना
सिंदूर सुहाग का प्रतीक है। मांग भरने के बाद वधू सुहागिन हो जाती है तथा पतिव्रता धर्म पालन के लिए प्रतिबद्ध हो जाती है। इस रस्म में वर द्वारा वधू के मांग में 7 बार बंदन या सिंदूर लगाया जाता है। तत्पश्‍चात पण्डित द्वारा साखोचार होता है। वामांग में आने के पूर्व वधू वर से सात वचन मांगती है, जिस पर ध्रुव-तारे, अग्नि, बाराती तथा घराती को साक्षी मानकर वर, वधू को सात वचन देता है -

सात वचन
1. तीर्थ, व्रत, उद्यापन, यज्ञ, दान आदि सभी कार्य मेरे साथ करने का वचन डो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी अर्थात पत्‍नी बनूंगी।
2. यदि तुम हविष्यान्न देकर देवताओं की और हव्य देकर पितरों की पूजा करोगे तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।
3. यदि तुम परिवार की रक्षा और पशुओं का पालन करोगे तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।
4. यदि तुम आय-व्यय और धान्य को भरकर गृहस्थी को संभालो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।
5. यदि तुम देवालय, बाग, कूप, बावड़ी आदि बनाकर पूजा करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।
6. यदि तुम अपने नगर में अथवा किसी और शहर में जाकर वाणिज्य व्यवसाय करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।
7. यदि तुम किसी पराई स्त्री को स्पर्श न करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आउंगी।

बिदाई
बाबुल यानी पिता के घर से अपने घर की ओर जाती है वधू, बिदाई देते हैं सभी प्रियजन। बचपन की सखियाँ, पिता का दुलार, माँ की गोद, भाई के स्नेह, बहनों के प्यार से बने घर-आंगन को छोड़कर कन्या अब अपने नये घर की ओर चलती है। भीगी आँखों से अपनी लाडली को बिदा करते स्वजनों की ओर देखते अपरिचित की आँखे भी छलक जाती है। हाथ में धान भरकर पीछे की ओर उछालती बेटी मायके की कामना करती है। बिदाई है नवसृजन के लिए पुनर्जन्म।

डोला परछन
जब डोला घर के दरवाजे पर रुकता है तब माँ डोली के ऊपर सूपा रखकर पांच मुट्ठी नमक रखती है। ऊपर से मसूर को इस पार से उस पार करती है। यह एक प्रकार का टोटका होता है। इसके बाद मायके के झेंझरी में जिस पर धान भरा होता है, बहू को उस पर पैर रखकर उतारा जाता है। अंदर जाकर बधू मायके के चांवल को 7 डिब्बा भरती है उसे हर बार वर पैरों की ठोकर से गिरा देता है। चांवल भरने के ढंग से वधू की कार्यकुशलता का अंदाज लगाते हैं। डोला परछन का आशय वधू का नये घर में स्वागत और लक्ष्मी का अभिनन्दन है।

कंकन-मउर/धरमटीका
यह रस्म मूलतः वर-वधू के संकोच को दूर करने का उपक्रम है। इसमें कन्या के घर से लाये लोचन पानी को एक परात में रखकर दुल्हा-दुल्हन का मड़वा के पास एक दूसरे का कंकन छुड़वाया जाता है। फिर लोचन पानी में कौड़ी, सिक्का, मुंदरी, माला खेलाते हैं। जिसमें वर एक हाथ से तथा वधू दोनों हाथ से सिक्का को ढूंढते हैं। जो सिक्का पाता है वह जीत जाता है। यह नेंग 7 बार किया जाता है। इसके बाद सभी टिकावन टिकते हैं जिसे धरमटीका कहते हैं।

बाजा (वाद्य)
वैवाहिक संस्कार में वाद्ययंत्र का प्रमुख स्थान है। वाद्ययंत्र प्रत्येक रस्म के भाव को प्रदर्शित करते हैं। जहां एक ओर निसान नाचने के लिए विवश करता है वहीं दूसरी ओर मोहरी विभोर कर देता है। दफडा, टिमऊ और झुमका विवाह संगीत को और समृद्ध कर देते हैं।

साभार - चंद्रभूमि अंक 2,  दाउलाल चन्द्राकर, महासमुंद, मोबाईल नं. 9926162300

छत्तीसगढ़ चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रिय समाज का कार्यक्षेत्र

छत्तीसगढ़ स्तर में दुर्ग, रायपुर, महासमुंद, धमतरी, राजनांदगांव, कवर्धा, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर जिले के समस्त चन्द्राकर, चन्द्रा, चन्द्रनाहू, चन्द्रवंशी इस समाज के सदस्य माने जावेंगे। समाज संचालन की सुविधा की दृष्टि से समाज को 9 क्षेत्रों व अनेक उपक्षेत्रों में विभाजित किया गया है।

1. रायपुर राज केन्द्र महासमुंद - रायपुर जिला, महासमुंद जिला, उड़ीसा का नयापारा जिला
2. दुर्ग राज - दुर्ग जिला, राजनांदगांव जिला का केवल भार्रेगांव उपक्षेत्र
3. कुरुद राज - धमतरी जिला, अभनपुर तहसील
4. कवर्धा राज - कवर्धा जिला, बेमेतरा तहसील
5. बिलासपुर राज - समस्त बिलासपुर जिला
6. रायगढ़ राज - समस्त रायगढ़ जिला
7. राजनांदगांव राज - खैरागढ़, छुईखदान सहित समस्त राजनांदगांव जिला (भार्रेगांव उपक्षेत्र छोड़कर)
8. जांजगीर राज - समस्त जांजगीर जिला
9. लवन राज - लवन क्षेत्र रायपुर जिला

राज (क्षेत्र) के अन्दर उपक्षेत्र का गठन किया गया है वह निम्नानुसार है
राज (क्षेत्र)

उपक्षेत्र

रायपुर राज - 21
1. महासमुंद
4. मालीडीह
7. कोमा
10. बोड़रीदादर
13. दुल्ला (छुरा)
16. मोखला
19. खौली
2. बेमचा
5. झलप
8. घुंचापाली
11. कुलिया
14. छटेरा
17. पलौद
20. सिसदेवरी
3. बिरकोनी
6. केसवा
9. गांजर
12. बेलटुकरी
15. रसनी
18. फरफौद
21. रायपुर नगर
दुर्ग राज - 8
1. अण्डा
4. जामगांव (तर्रा)
7. भार्रेगांव
2. गुण्डरदेही
5. सांतरा
8. बालोद
3. भिलाई
6. जामगांव (आर),
कुरुद राज - 5
1. कुरुद
4. छाती
2. उमरदा
5. दोनर
3. दहदहा
कवर्धा राज - 7

1. बिरकोना
4. लखनपुर
7. पलानसरी
2. झलमला
5. मोहतरा
3. अमलीडीह
6. खराहट्टा
बिलासपुर राज
- अप्राप्‍‍त
राजनांदगांव राज
- अप्राप्‍‍त
जांजगीर राज
- अप्राप्‍‍त
लवन राज
- अप्राप्‍‍त

राज (क्षेत्र) उपक्षेत्रों में शामिल गाँव निम्नानुसार है
 
रायपुर राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. महासमुंद
9
परसकोल, खैरा, पिटियाझार, लभरा, उमरदा, पतेरापाली, मुड़पार, गौरखेड़ा, महासमुंद
2. बेमचा
10
बेमचा, बेलसोंडा, खरोरा, नांदगांव, नयापारा, परसदा, बनसिवनी, सोरिद, कौनकेरा, साराडीह
3. बिरकोनी
7
बिरकोनी, परसवानी, अछोली, मुसकी, बरबसपुर, बेलटुकरी, अछरीडीह
4. मालीडीह
8
मालीडीह, कौंआझर, पीढ़ी, पिरदा, तुमगांव, अछोला, कुकराडीह, लोहारडीह
5. झलप
16
बावनकेरा, गोंड़पाली, तेलीबांधा, गड़बेड़हा, बरेकेल, बनपचरी, झलप, तुरेंगा, सिंघनपुर, चौकबेड़ा, लखनपुर, मुनगासेर, नवागांव, रुमेकेल, लामीडीह, अमोरी
6. केसवा
21
केसवा, मोंहदी, अरण्ड, नवाडीह, खुटेरी, बकमा, हाड़ाबंद, खम्हरिया, कुरूभाँठा, फूलझर, इच्छा, अमेठी, खट्टी, बोरियझर, धनसुली, कनेकेरा, तरपोंगी, चुरकी, घुंचापाली, परसदा, पचेड़ा
7. कोमा
8
कोमा, सिंघी, कसीबाहरा, चरौदा, खुसरुपाली, कन्हारपुरी, पाली, सोरमसिंघी
8. घुंचापाली
16
घुंचापाली, खोपली, तेंदुलोथा, बागबाहरा, पड़कीपाली, जुनवानी, बकमा, सोनदादर, सिर्री, दैहानीभाठा, सोनाकुटी, हाथीबाहरा, कंडीझर, भालुचुआ, लालपुर, सुनसुनिया
9. गांजर
13
गांजर, भदरसी, लिटियादादर, मोहबा, बसुलाडबरी, बुंदेली, गहनाघटा, चौकबेड़ा, नरतोरी, करमापटपर, कौंसरा, तेंदुकोना, मोंगरापाली
10.बोड़रीदादर
14
बोड़रीदादर, मुनगासेर, बघामुड़ा, नवागांव, मोखा, देवरी, कुसमी, भटगांव, बाम्हनसरा, चिंगरिया, सुअरमाल, खेमड़ा, खैरठ, खुर्सीपार
11. कुलिया
10
कुलिया, कोमाखान, बिड़ोरा, भलेसर, मौलीमुड़ा/कसहीबाहरा, पलसापानी, झिटकी, दरबेकेरा, द्वारतरा, खैरट-कला
12. बेलटुकरी
11
बेलटुकरी, सिंगपुर, सरायपाली, गुड़ापतेरा, खरियार रोड़, नुआपाड़ा, भलेसर, मसानकुंडा, बिरोमाल, परकोड़, अमोदी
13. दुल्ला (छुरा)
18
दुल्ला, सेम्हरा, छुरा, अमलोर, कोसमी, दादरगांव, पकतिया, गरियाबंद, सोरिद, सुहागपुर, सारागांव, मोहराडीह, लोहझार, गिधमी, बहेराबुड़ा, मजरकट्टा, खट्टी, नहरगांव                  
14. छटेरा
17
अकोली, गिधवा, बनचरौदा, गौरभाठ, नयापारा, राजिम, डंगनिया, छटेरा, कुम्ही, आरंग, पारागांव, लिंगाडीह, तामासिवनी, कुम्हारी, बकली, कोमा, रावड़
15. रसनी
5
रसनी, बोड़रा, बोरिद, रींवा, लखौली
16. मोखला
8
कोसमखूंटा, नरियरा, देवदा, गनौद, भिलाई, मोखला, चरौदा, बिरबिरा   
17. पलौद
5
पलौद, परसदा, कुहेरा, धमनी, कांदुल
18. फरफौद
10
फरफौद, छतौना, भोथली, अमेठी, देवरी, फरहदा, अकोलीखुर्द, बरछा, गुल्लू, जरौद
19. खौली
10
खौली, भड़हा, नारा, बेलटुकरी, सुन्दरा, खरोरा, असौंदा, मालीडीह, करहीडीह, सिवनी
20. सिसदेवरी
18
सिसदेवरी, कौड़िया, लटेरा, कौवाडीह, कुटेला, भवानीपुर, बलदाकछार, पठरीडीह, कोदवा, संडी, पलारी, तमोरी, अमोदी, करमंदी, गिधपुरी, खपरी, बलौदाबाजार, समोदा
21. रायपुर नगर
1
रायपुर नगर


दुर्ग राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. अण्डा
22
चिंगरी, कुथरेल, चंदखुरी, कोनारी, धनोरा, खम्हरिया, कोकड़ी, भिलाई, विनायकपुर, रिसामा, चिरपोटी, सुखरी, मतवारी, अण्डा, कोड़िया, ओटेबंद, हनोदा, सिरसिदा, परसदा, डंगनिया, द्वारिकाडीह, खप्परवाड़ा
2. गुण्डरदेही
29
निपानी, सांकरा, कमरौद, चौरेल, पैरी, फुलझर, माहुद (बी), दनिया, मनहोरा, सिकोसा, लिमोरा, ईरागुड़ा, पिनकापार, फुण्डा, बोरगहन, चाराचार, रजोली, अचौद, जोरातराई, कसौंदा, मचौद, मुंदेरा, गुण्डरदेही-बघमरा, कचांदुर, देवरी (क), गोरकापार, पांगरी, अर्जुन्दा
3. भिलाई
1
भिलाई नगर
4. जामगांव (एम)
27
पचपेड़ी, गनियारी, सिरसाकला, कुगदा, अटारी, देवबलौदा, ओखरा, आमापेंड्री, सावनी, बठेना, अरसनारा, चीचा, तर्रा, रवेली, ढौर, फुण्डा, लोहरसी बड़े पारा, लोहरसी छोटे पारा, गभरा, अमेरी, रूही, उफरा, जामगांव (एम), औंरी छोटे, औंरी बड़े, औंधी, सांकरा 
5. सांतरा
23
सांतरा, आमलोरी, पौहा, पाऊवारा, गुढ़ियारी, तिलोदा, गाड़ाडीह, तमोरा, सिर्री, मचांदुर, कोसा, धौराभांठा, परसाही, फेकारी, घुघसीडीह, खोपली, उतई, डुंडेरा, डुमरडीह, मटंग, धुमा, सेमरी, सोरम   
6.जामगांव (आर)
26
बोरवाय, जामगांव (आर), भैंसबोड़, कुम्हली, भरर, गब्दी, कुर्मीगुण्डरा, मोहभट्ठा, डिड़गा रानीतराई, असोगा, बरबसपुर, भनसुली (आर), बेल्हारी, अकतई, बटरेल, रीवागहन, मासुल, बासीन, खोला, जरवाय, रनचिरई, परसाही, मुंडरा, औंरी, रंगकठेरा
7. भर्रेगांव
29
भर्रेगांव, जंगलेशर, मोहड़, पार्रीखुर्द, खुटेरी, तोरनकटा, ठाकुरटोला, बुचीभरदा, गोडेला, सिंगदई, धामनसरा, मलपुरी, ईरा, कन्हारपुरी, लखौली, अछोली, चिरचारी, भेजराटोला, धनगांव, खेरथा, जंवरतला, पिपरखार, भाखरी, लुलीकसा, बिजेभाठा, नवागांव मुढ़ीपार, सिंघोला, संबलपुर, मुड़खुसरा
8. बालोद
27
बालोद, देवरतराई, धौराभांठा, हीरापुर, जुंगेरा, बनगांव, खपरी, मालिघोरी, खैरा, रेंघई, खरथुली, दारगांव, भीमकन्हार, राजनांदगांव, मोतीपुर, नवागांव, दल्लीराजहरा, माटरी, उसरीटोला, गैंजी, पाररास, खैरतराई, तरौद, अर्जुनी कांकेर, भंडारी भरदा, दर्री, अरमुरकसा


कुरुद राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. कुरुद
10
कुरुद, राखी, भाठागांव, बगौद, थुहा, भुसरेंगा, चोरभट्ठी, कन्हारपुरी, डांडेसरा, चर्रा
2. उमरदा
9
उमरदा, कमरौद, परसवानी, नवागांव, भरदा, कुहकुहा, परखंडा, मोतीमपुर, मगरलोड (भैंसामुड़ी)
3. दहदहा
20
दहदहा, परसवानी, भोथली, अटंग, अछोटी, चरमुड़िया, सिवनीकला, गोबरा, आलेखुंटा, हथबंद, जी जामगांव, दरबा, अभनपुर, सिंगारभाँठा, कोलर, मुजगहन, उपरवारा, भैंसमुरी, मंडेली, जरवाय
4. छाती
17
छाती, सेनचुआ, सेम्हरा (डी), कसही, सरसोंपुरी, गोपालपुरी, लिमतरा, सम्बलपुर, तरसींवा, भेंड़रा, कोर्रा, धमतरी शहर, बोदाछापर, उड़ेंना, गागरा, मोंगरा, खैरा
5. दोनर
13
दोनर, सेमरा (बी), देवरी, झुरा नवागांव, लड़ेर, छुही, कुर्रीडीह, कुम्हड़ा, भोयना, झीरिया, झीरिया नयापारा, नवागांव ढीमर टिकुर, सालेभाठ


कवर्धा राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. बिरकोना
21
बिरकोना, धरमपुरा, जिंदा, झिरौनी, कोसमंदा, मिरमिट्टी, इंदौरी, मानिकचौरी, खाम्ही, गांगपुर, नवघटा, छांटा, मोहगांव, पालीगुड़ा, परसवारा, कोठार, चरडोंगरी, दुल्लापुर, बावा, बरदी, पिपरिया
2. झलमला
15
झलमला, नवागांव, गोपालभावना, डेहरी, लांघन, पंडरिया, खैरझिटी, घोरेबारा, घिरघोसा, चचेड़ी, फांदातोड़, सिंघनपुरी, केसली, बिटकुली, खपरी
3. अमलीडीह
15
अमलीडीह, डौकाबांधा, बिपतरा, कुंआ, चेचानमेटा, मजगांव, उड़तला, मथानी बड़े, मथानी छोटे, पटुवा, पथर्रा, आंछी, बानो, कोको, दलपुरवा
4. लखनपुर
14
लखनपुर, कानाभैरा, नेवारीगुड़ा, दुल्लापुर, रबेली, खड़ौदा, लालपुर, बटुरा कछार, जेवड़न, दौजरी, बीजाझोरी, राम्हेपुर, जमुनिया, खैरीपार
5. मोहतरा
20
मोहतरा, कनझेटा, कनझेटी, पथर्रा, निगापुर, सैहामालगी, कोइलारी, धनेली, भगतपुर, रूसे, कारीमाटी, जंगलपुर, पेंड्री, अखरा, हथमुड़ी, माकरी, सोढ़ा, मोहगांव, सोनपुर, बोड़तरा
6. खराहट्टा
19
खराहट्टा, भरेली, गंडई बड़े, गंडई छोटे, कुसुमघटा, मानिकपुर, नेऊरगांव बड़े, नेऊरगांव छोटे, सिल्हाटी, चरखरा, लखनपुर (पोड़ी), सरईपतेरा, सिंघारी, बोरिया, महली, तरसिंगपुर, सारंगपुर, बोरकछार, लोहझरी
7. पलानसरी
20
पलानसरी, पुतकी, दशरंगपुर, चारभाँठा बड़े, चारभाँठा छोटे, नवापारा, रौहा, बिसेसरा, देवपुरा, मझोली, कुम्ही, बोड़तरा, धोगट्टी, परसवारा, डोंगरिया, छांटा, रैतापार, अंधियारखोर, कांपा (ठाकुर), लडुआ


बिलासपुर राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. बिलासपुर

दर्राभांठा, बेलटुकरी, परसदा, मुलमुला, कोनारगढ़, तिफरा, रतनपुर, करगीरोड़-कोटा, बिलासपुर, भिलाई, कर्रा, तिमतरा, रलिया, जयराम नगर, ठरकपुर, सोंठी, तिफरा, कोहड़िया, गढ़वट, जाली, सरवनदेवरी, पैजनिया ... आदि ...
2. तखतपुर

करनकांपा, खम्हरिया, चुलघट, निगारबंद, टोंड़ा, बिरगांव (मुंगेली), पकरिया, विचारपुर कांपा, कपसियाकला, चोरमा, राजाकांपा, ठाकुरकांपा, धवइहां, परसाकांपा, बराही, सफरीभांठा, पैजनिया, लिम्ही, तखतपुर ... आदि ...
3. लोरमी

लोरमी, लगरा, छिरहुट्टी, सुकली, रबेली ... आदि ...


राजनांदगांव राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. राजनांदगांव

खैरागढ़, छुईखदान, लक्ष्मणपुर ... आदि ...


जांजगीर राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. जांजगीर

जांजगीर, नैला, रतनपुर ... आदि ...


लवन राज
उपक्षेत्र
गांवों की संख्या
शामिल गांव / नगर
1. लवन
23
वटगन, ओड़ान, सिसदेवरी, कौवाडीह, गिर्रा, कोदवा, सिंघोरा, घिरघोल, दतान, सकरी, अछोली, अमेरा, नगपुरा, केसला, छेरकाडीह, पलारी, बलौदी, छेरकापारबलौदाबाजार (पुरानीबस्ती), सेमराडीह, डमरू, धारासिव, लवन


 
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