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रचनायें आमंत्रित

अपने अतीत की ओर लौटना वर्तमान में अपनी सुरक्षा और गौरव की तलाश का आधार बन सकता है। चन्द्राकर समाज सदियों से अपनी अलग पहचान बनाए हुए स्वाभिमानी समाज रहा है। हमारा समाज थिरकता, गाता-गुनगुनाता, खेती करता गांवों में बसा और अपनी अलग जातिय अस्मिता का आग्रही व राजनीतिक रूप से चैतन्य रहा है।

वर्तमान दौर में सूचना और जानकारी जुटाने के लिए इंटरनेट का उपयोग आम हो गया है। इंटरनेट के इस दौर में भी आज चंद्राकर समाज और उनसे जुड़ी जानकारियां खोजे नहीं मिलती है। इस कारण से हम चंद्राकर समाज के इतिहास, आचार-विचार, रीति-रिवाज, खान-पान, रहन-सहन, परंपराओं, गतिविधियों, विभिन्न संस्कारों व उसमें गाए जाने वाले गीतों, समाज में जन्म लिए विभुतियों आदि विभिन्न बातों से सम्बन्धित तथ्यपरक जानकारियां जुटाने का प्रयास कर रहें हैं। इन जानकारियों को इस ब्लॉग में प्रकाशित किया जाएगा, जिससे चंद्राकर समाज से जुड़ी हुई सभी बातें और जानकारियाँ उपलब्ध हो सके।

अत: आप सबसे अनुरोध करते हैं की चंद्राकर समाज से जुड़ी हुई उपरोक्त विभिन्न विषयों व गतिविधियों से सम्बन्धित तथ्यपरक रचनाएँ हमें भेजें। प्रेषक कृपया रचनाओं से सम्बन्धित फोटोग्राफ आदि के साथ-साथ  अपना फोटोग्राफ, पता व मोबाईल/फोन नं. भी अवश्य भेजें।



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1 comments:

36solutions ने कहा…

अड़बड़ सुघ्‍घर काम करत हावव आपमन राजेश भाई.
बहुत बहुत धन्‍यवाद.

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